DRDO-BEML का बड़ा समझौता! अब भारत में बनेगा Tank Transporter, Repair & Maintenance Vehicle

भारत अब सिर्फ लड़ाई नहीं लड़ता… वो अपनी लड़ाई के हथियार भी खुद बनाता है! 7 जून 2025 को भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाया है. BEML लिमिटेड और DRDO की प्रमुख प्रयोगशाला VRDE ने तीन बड़ी रक्षा तकनीकों के लिए एक अहम समझौते पर दस्तखत किए हैं.
इस समझौते के तहत, मेन बैटल टैंक अर्जुन (MBT Arjun) के लिए यूनिट मेंटेनेंस व्हीकल (UMV) और यूनिट रिपेयर व्हीकल (URV) के साथ-साथ 70 टन वजनी टैंक ट्रांसपोर्टर ट्रेलर का निर्माण किया जाएगा. यह सहयोग “आत्मनिर्भर भारत” पहल के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य महत्वपूर्ण रक्षा तकनीकों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है.
विदेशी तकनीक पर निर्भरता होगी कम
यह सिर्फ उत्पादन का समझौता नहीं है— ये Technology Transfer (प्रौद्योगिकी हस्तांतरण) है. यानि अब विदेशी तकनीक पर निर्भरता नहीं, भारत की अपनी टेक्नोलॉजी से भारतीय सेना को मिलेगा नया दम.
ये समझौते 7 जून को अहमदनगर स्थित VRDE में आयोजित एक समारोह के दौरान रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के सचिव एवं डीआरडीओ अध्यक्ष समीर वी कामत द्वारा बीईएमएल लिमिटेड के निदेशक (खनन एवं निर्माण) संजय सोम कोऔपचारिक रूप से सौंपे गए. इस कार्यक्रम में वीआरडीई के निदेशक जी. राममोहन राव, डीआरडीओ के महानिदेशक (आर्मामेंट एंड कॉम्बैट इंजीनियरिंग) प्रतीक किशोर, वरिष्ठ डीआरडीओ वैज्ञानिक और उद्योग प्रतिनिधि उपस्थित थे.

बीईएमएल ने अपने बयान में कहा कि यह सहयोग सेना की संचालन क्षमताओं को पूरी तरह से स्वदेशी और अगली पीढ़ी की प्रणालियों के माध्यम से मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. कंपनी ने यह भी कहा कि यह पहल सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में आवश्यक तकनीकों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है.
ये कदम सिर्फ एक करार नहीं है… ये ऐलान है — कि अब भारत अपने टैंक बनाएगा, उनके ट्रांसपोर्टर बनाएगा और उनके रिपेयर सिस्टम भी खुद तैयार करेगा.
BEML और DRDO की यह साझेदारी बन रही है आत्मनिर्भर भारत की रीढ़. अब विदेशी कंपनियों की लाइन में खड़े होने की जरूरत नहीं है.